भारत का शेयर बाजार इन दिनों ऐतिहासिक गिरावट से गुजर रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी में ऐसी भारी गिरावट देखने को मिल रही है जो पिछले कई दशकों में नहीं हुई थी। निवेशकों का अरबों रुपये डूब चुका है, और खासकर उन नए निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है, जिन्होंने बिना ज्यादा समझदारी के ट्रेडिंग में हाथ आजमाया था।
इस लेख में हम इस गिरावट के पीछे की असली वजहों को समझेंगे और जानेंगे कि आगे आपको क्या करना चाहिए।
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शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट
बीते कुछ महीनों में भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। सेंसेक्स हजारों अंकों की गिरावट देख चुका है, और निफ्टी भी लगातार कमजोर हो रही है। अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच निवेशकों को करीब 22 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। कई बड़ी कंपनियों के शेयर लगातार घाटे में जा रहे हैं, और बाजार से बड़ी मात्रा में पूंजी बाहर निकल चुकी है।
सिर्फ यही नहीं, इस गिरावट ने निवेशकों का भरोसा भी हिला दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाखों लोगों ने अपने म्यूचुअल फंड SIP अकाउंट बंद कर दिए हैं, क्योंकि वे बाजार के उतार-चढ़ाव को झेल नहीं पाए।

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शेयर बाजार की गिरावट के प्रमुख कारण
इस भारी गिरावट के पीछे कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारक जिम्मेदार हैं। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं:
- ओवरवैल्यूएशन की समस्या
कोरोना महामारी के बाद भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखा गया था। बड़ी कंपनियों के शेयर महंगे होते चले गए, और निवेशकों में यह धारणा बन गई कि बाजार हमेशा ऊपर ही जाएगा। लेकिन असली समस्या तब शुरू हुई जब कंपनियों की वास्तविक अर्निंग ग्रोथ उम्मीद के मुताबिक नहीं रही। नतीजा यह हुआ कि जब निवेशकों को मुनाफा नहीं दिखा, तो उन्होंने अपने शेयर बेचना शुरू कर दिया, जिससे बाजार में गिरावट आई।
- भारतीय मुद्रा (₹) की कमजोरी
भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है और यह 87 रुपये प्रति डॉलर के आसपास पहुंच गया है। कमजोर रुपये के कारण विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में उतना आकर्षण नहीं दिख रहा। इसके अलावा, तेल और अन्य आयातित वस्तुएं महंगी हो गई हैं, जिससे कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन घट रहा है और इसका असर शेयर बाजार पर पड़ रहा है।
- विदेशी निवेशकों का बाजार से बाहर जाना
अंतरराष्ट्रीय निवेशक (Foreign Portfolio Investors – FPIs) भारतीय बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। जनवरी और फरवरी 2025 में ही 1.12 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश बाहर जा चुका है। इसकी वजह अमेरिका और यूरोप में बढ़ती ब्याज दरें और वहां के बॉन्ड मार्केट के आकर्षक रिटर्न हैं।
- अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और वैश्विक अस्थिरता
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद ट्रेड पॉलिसी में कई बदलाव हो रहे हैं। चीन, कनाडा और मेक्सिको पर नए टैरिफ लगा दिए गए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार प्रभावित हो रहा है। इन हालातों में विदेशी निवेशक भारत के बजाय चीन और जापान के बाजार में ज्यादा निवेश कर रहे हैं, जिससे भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है।
- नए निवेशकों की गलत रणनीतियां
पिछले कुछ सालों में भारत में स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग को लेकर क्रेज बढ़ा है। Gen-Z और मिलेनियल्स ने सोशल मीडिया, यूट्यूब और इन्फ्लुएंसर्स के प्रभाव में आकर बिना रिसर्च किए ट्रेडिंग शुरू कर दी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 40% नए इन्वेस्टर्स की उम्र 30 साल से कम है और इनमें से 93% लोगों को सिर्फ नुकसान हुआ है। फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में भी लोग भारी नुकसान झेल रहे हैं।
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अब निवेशकों को क्या करना चाहिए?
1. घबराकर शेयर ना बेचें: अगर आपने अच्छी कंपनियों में निवेश किया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। बाजार गिरता है, लेकिन यह दोबारा उठता भी है। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर फोकस करें।
2. एसआईपी जारी रखें: अगर आपने म्यूचुअल फंड SIP बंद कर दी है, तो यह गलती हो सकती है। गिरावट के समय SIP निवेश करना ज्यादा फायदेमंद होता है क्योंकि इससे रुपये की औसत लागत (cost averaging) कम होती है।
3. फाइनेंशियल लिटरेसी बढ़ाएं: सिर्फ हाइप के आधार पर ट्रेडिंग करने से बचें। निवेश करने से पहले कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ, फंडामेंटल्स और बिजनेस मॉडल को समझें।
4. फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग से बचें: अगर आपको बाजार की सही समझ नहीं है, तो डेरिवेटिव्स (F&O) में ट्रेडिंग न करें। यह बहुत जोखिमभरा हो सकता है और भारी नुकसान कर सकता है।
5. उधार लेकर निवेश ना करें: शेयर बाजार में कभी भी लोन लेकर पैसा लगाना एक गलत फैसला हो सकता है। अगर बाजार और नीचे जाता है, तो आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार फिलहाल भारी उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। लेकिन यह पहली बार नहीं हो रहा, इससे पहले भी बाजार में कई बार करेक्शन आए हैं और बाजार फिर से मजबूत हुआ है। इस समय पैनिक करने के बजाय धैर्य बनाए रखें, समझदारी से निवेश करें और शॉर्ट टर्म में तगड़ी कमाई के चक्कर में न पड़ें।
याद रखें, शेयर बाजार कोई लॉटरी नहीं है। यह धैर्य, अनुशासन और सही रणनीति का खेल है। आप जितना ज्यादा समझेंगे, उतना ही अच्छा रिटर्न पाएंगे।
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